२८ जून २०१४
आज फिर मन तन्हा है
आज फिर कुछ बिखरा बिखरा सा लगता है
ज़िन्दगी के आयाम कुछ बदल से गए हैं
जो पहले इकठ्ठा होता था वो
आज भी इकठ्ठा है, पर औरों को
भ्रमित सा करता
अब cloud और technology का
ज़माना है
इसलिए मिलन भी वहीँ होता है
फिर भी
वो गुजरा ज़माना रह रह कर याद आता है...
आज फिर मन तन्हा है
आज फिर कुछ बिखरा बिखरा सा लगता है
ज़िन्दगी के आयाम कुछ बदल से गए हैं
जो पहले इकठ्ठा होता था वो
आज भी इकठ्ठा है, पर औरों को
भ्रमित सा करता
अब cloud और technology का
ज़माना है
इसलिए मिलन भी वहीँ होता है
फिर भी
वो गुजरा ज़माना रह रह कर याद आता है...
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