२० दिसम्बर २०१४
समुद्र और आकाश के रिश्ते को
इन्सान कब समझ पाया है,
दोनों की समानता ऐसा
आभास दिलाती है मानो
कोई गहरा सम्बन्ध हो
रंगो की समानता
गहराइयों का एका
अकसर विशाल शान्तता
पर यदा कदा तूफ़ानी हो उठना
कितना सुकून मिलता है
जब भी टकटकी लगाकर देखते हैं
या फिर आँखें बन्दकर लहरों का
संगीत सुनते हैं
दूर कहीं एक दूसरे में खो जाने सा
आभास देने वाले
आसमां और समुद्र
वास्तव में कितने दूर हैं
यह इन्सान कहाँ समझ पाया है
या फिर समझना चाहता है ।
प्रदीप
समुद्र और आकाश के रिश्ते को
इन्सान कब समझ पाया है,
दोनों की समानता ऐसा
आभास दिलाती है मानो
कोई गहरा सम्बन्ध हो
रंगो की समानता
गहराइयों का एका
अकसर विशाल शान्तता
पर यदा कदा तूफ़ानी हो उठना
कितना सुकून मिलता है
जब भी टकटकी लगाकर देखते हैं
या फिर आँखें बन्दकर लहरों का
संगीत सुनते हैं
दूर कहीं एक दूसरे में खो जाने सा
आभास देने वाले
आसमां और समुद्र
वास्तव में कितने दूर हैं
यह इन्सान कहाँ समझ पाया है
या फिर समझना चाहता है ।
प्रदीप
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