Thursday, January 1, 2015

समुद्र और आकाश

२० दिसम्बर २०१४

समुद्र और आकाश के रिश्ते को
इन्सान कब समझ पाया है,
दोनों की समानता ऐसा
आभास दिलाती है मानो
कोई गहरा सम्बन्ध हो
रंगो की समानता
गहराइयों का एका
अकसर विशाल शान्तता
पर यदा कदा तूफ़ानी हो उठना
कितना सुकून मिलता है
जब भी टकटकी लगाकर देखते हैं
या फिर आँखें बन्दकर लहरों का
संगीत सुनते हैं
दूर कहीं एक दूसरे में खो जाने सा
आभास देने वाले
आसमां और समुद्र
वास्तव में कितने दूर हैं
यह इन्सान कहाँ समझ पाया है
या फिर समझना चाहता है ।

प्रदीप

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