Thursday, January 1, 2015

क्षणिक जीवन

२८ अक्टूबर २०१४

कुछ कलियाँ फूल बनने से पहले ही
मुरझा जाती हैं
कुछ सपने बिला वजह
यूँ ही टूट जाते हैं
 माली कुछ समझ पाता है
 नींद 
स्वच्छन्दता , खुला आकाशचपलता
मस्तीख़ुशी
जब क्षणों से भी छोटी हो जाती है तो
स्मित-विस्मित कर जाती हैं 

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