२३ जून २०१४
भीषण गरमी का हाहाकार
पटरी से उतरती जिन्दगियां
दस्तक देते काले घने बादल
शंकित मन
क्या कुछ बदलेगा आज, अभी
या हवा इन्हें उड़ा ले जायेगी और
अपेक्षित पथरायी आँखे जस की तस
इंतज़ार करती रहेंगी उन
अच्छे दिनों का..
भीषण गरमी का हाहाकार
पटरी से उतरती जिन्दगियां
दस्तक देते काले घने बादल
शंकित मन
क्या कुछ बदलेगा आज, अभी
या हवा इन्हें उड़ा ले जायेगी और
अपेक्षित पथरायी आँखे जस की तस
इंतज़ार करती रहेंगी उन
अच्छे दिनों का..
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