Thursday, January 1, 2015

इन्सानियत

२२ दिसम्बर २०१४

काँपते हाथों को जब रिमोट ने नकार दिया
तो पता चला कि ठंड आ गयी है
खिड़कियों के बाहर जब
सब कुछ दिखाई देना बन्द हो गया 
तो पता चला कि ठंड आ गयी है
जब ट्रेन और हवाई जहाज़ों ने
समय की धारा को बदल दिया
तो पता चला कि ठंड आ गयी है
जब सड़क पर आए दिन
ठिठुरते लोगों ने दम तोड़ना शुरू किया
तो पता चला कि ठंड आ गयी है
जब नन्हें मासूमों को 
दरिन्दों की गोंलियों का शिकार होना पड़ा 
तो पता चला कि ना सिर्फ़ ठंड आ गयी है
पर यह भी पता चला कि इन्सानियत
जम गयी है
अब कोई नन्हा नन्हा नहीं रहा
काश कोई लौटा दे
इन नन्हों का बचपन। 

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