Thursday, January 1, 2015

विरोधाभास

२६ मई २०१४

वो अमलतास के पीत फूलों से सटी राहें
वो गुलमोहर के केसरिया फूलों से पटे पेड़
वो वैशाख में झमझम गिरती बारिश
और मिटटी से उठती सौंधी खुशबू
हमें विरोधाभास में जीने की आदत सी हो गयी है


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