०२, अगस्त २०१४
सावन को दस्तक देते
आषाढ़ में
सूरज को धरती से प्यार हो गया
सूरज की नजदीकियों की तपिश से
और प्रेमांध से
धरती लज्जा से लाल हो उठी
इर्षा से हम धरतीवासी
बस झुलस कर रह गए
इंद्र भी जल उठे और
क्षणिक ही सही पर
आज सूरज को छुपा दिया...
सावन को दस्तक देते
आषाढ़ में
सूरज को धरती से प्यार हो गया
सूरज की नजदीकियों की तपिश से
और प्रेमांध से
धरती लज्जा से लाल हो उठी
इर्षा से हम धरतीवासी
बस झुलस कर रह गए
इंद्र भी जल उठे और
क्षणिक ही सही पर
आज सूरज को छुपा दिया...
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