Monday, June 14, 2021

ज़िंदगी एक ख़ाक है


 ज़िंदगी एक ख़ाक है


इस सूखे पत्ते की तरह

जिंदगी भी कभी सूख जाती है

और शाख से गिरकर

ख़ाक हो जाती है

पर एक दिन ये भी एक नया पत्ता थी

ये सोच कर उस ख़ाक में भी इतराती है।


प्रदीप/जून ११, २०२१

फोटो: आज छत पर

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