हर नया पल एक नया जोश
वैसे तो पल एक से होते हैं
पर कल के पल में कुछ खास था
जाने क्यूं घडी की सुइंयां
और केलेंडर के पन्ने
पलटते ही एक नयेपन का एह्सास होता है
कुछ सुनहरे पल जो अब अतीत में विलीन
हो गये हैं, खोये खोये से लगते हैं
कभी उन पलों को सामने लाकर
अपने आज को भुला देना चाहता हूं
तो कभी आनेवाले कल की कल्पना में
खुद को डुबो देता हूं
कुछ असमंजस में होता हूं
मैं अकसर और यह जानने
को आतुर
कि क्या और कब मैं अपना
आज और अभी जीता हूं?
प्रदीप
नववर्ष के आगमन पर , शुभेच्छाऐं
जनवरी ०१, २०१६
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