Sunday, January 31, 2016

नववर्ष २०१६

हर नया पल एक नया जोश 
वैसे तो पल एक से होते हैं
पर कल के पल में कुछ खास था
जाने क्यूं घडी की सुइंयां 
और केलेंडर के पन्ने 
पलटते ही एक नयेपन का एह्सास होता है
कुछ सुनहरे पल जो अब अतीत में विलीन 
हो गये हैं, खोये खोये से लगते हैं
कभी उन पलों को सामने लाकर 
अपने आज को भुला देना चाहता हूं  
तो कभी आनेवाले कल की कल्पना में
खुद को डुबो देता हूं 
कुछ असमंजस में होता हूं 
मैं अकसर और यह जानने 
को आतुर
कि क्या और कब मैं अपना
आज और अभी जीता हूं? 

प्रदीप 
नववर्ष के आगमन पर , शुभेच्छाऐं
जनवरी ०१, २०१६ ‎

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