परी कथाएँ दिल को छू जाती हैं
परियाँ कल्पना भी होती हैं
और कल्पना से परे भी
एक ऐसी ही कहानी है:
एक नन्ही सी परी
बगिया में आई
चहकती फुदकती
तितलियों की तरह
कभी इस डाल पर
कभी उस डाल पर
सारा आँगन सारी बगिया
उसकी किलकारियों से
महकता था
फिर एक दिन वो परी
उड़ चली कहीं और
किसी और बगिया को महकाने
और कल्पना का वह बाग़
खो गया उसकी याद में
उसके फिर आने के इन्तज़ार में
प्रदीप
०९ मार्च २०१५
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