Thursday, April 29, 2021

गुलिस्तां

Ek gulistaan aaj ujada pada hai
Phir basega
Par jiski duniya ujad gayee ho
Woh gul kee talash nahee karega
Woh khilkhilahat, Woh muskaraahat
Agar lautee bhi to Uske peechhe
Ek dard chhupa rahega
Khuda ke apane khel hain
Woh kab, kyun, kahan, kya karta hai
Koi nahi janata
Hey ishwar, Hey allah, hey maalik
Ab to humen baksh de
Hum insaanon se huigaltiyon ko
Maaf Kar de.

Pradeep/April 30, 2021


गुलिस्तां

एक गुलिस्तां आज उजड़ा पड़ा है
फिर बसेगा
पर जिसकी दुनिया उजड़ गई हो
वो गुल की तलाश नहीं करेगा
वो खिलखिलाहट, वो मुस्कराहट
अगर लौटी भी
तो उसके पीछे एक दर्द
छुपा रहेगा
खुदा के अपने खेल हैं
वो कब, क्यों, कहां, क्या करता है
कोई नहीं जानता
हे ईश्वर, हे अल्लाह, हे मालिक, अब तो रहम कर
अब तो हमें बख्श दे
हम इंसानों से हुई गलतियों को
माफ़ कर दे।

प्रदीप/अप्रैल ३०, २०२१.

No comments:

Post a Comment