Tuesday, February 16, 2021

ज़िन्दगी एक ख्वाब की

ज़िन्दगी एक ख्वाब की
--

एवरेस्ट चढ़ूं 
ये मेरी ख्वाइश नहीं
ना ही आसमां की ऊंचाई
छूना, या
सागर की असीम गहराइयों को पाना

मेरा अपना एक एवरेस्ट है
मेरा अपना एक सागर है
मेरा अपना एक आसमां है

ये सब कभी उनसे ऊंचे
और कभी गहरे हो जाते हैं
बस उन्ही ऊंचाइयों में
उन्ही गहराइयों में
मैं अपने ख्वाबों को और 
जीवन की ख्वाइशों को पा लेता हूं।

नाप लेता हूं धरती से गगन और
सतह से अथाह सागर 
ख्वाबों में जीना मेरी 
आदत सी हो गयी है
ख्वाबों से लड़ना मेरी
आदत सी हो गयी है।

प्रदीप/फरवरी १६, २०२१

No comments:

Post a Comment