ख्वाबों के ख्वाब
ख्वाब देखा है?
जब ख्वाब ही अपने नहीं होते हैं
तो ख्वाबों के ख्वाब कैसे अपने होंगे
बेहतर हो कि ना कोई ख्वाब देखें
ना ख्वाबों के ख्वाब
ताकि ना आप रुसवा हों
और ना ही आपके ख्वाब।
पर ख्वाब क्या सच्चाई से परे होते है?
अगर नहीं तो फिर आओ
ख्वाब देखें और उन्हें
सच्चाई में तब्दील करें।
प्रदीप/फरवरी १५, २०२१.
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