क़हर
ठिठूरन भरी ठंड की सुबह
अलसाते नकराते
मां की झिड़कियों से तंग
वह नहा धोकर रोज़ाना की तरह
तैय्यार हो निकली
स्कूल की ओर
क्लास और मैदान कि वो मस्तियां
दोस्तों के साथ ठहठहाके
और फिर अनमनी सी घर को चली
उधर घर के काम निपटाकर मां
किताब पढ़ने के बहाने
आंगन की धूप में सामने वाले
बस स्टाप पर नज़र गड़ाये बैठी थी
उसके इन्तजार में
न जाने कब झपकी लगी और
बिटिया के भविष्य के सपने बुनती रही
हाहाकार से जब नींद उड़ी
तो देखा सब कुछ टूट गया था
सब कुछ लुट गया था
एक बेदर्द अक्षमणिय गलती ने
कई बच्चों के साथ उसकी बिटिया को भी
काल के ग्रास में धकेल दिया था
सपनों की खुशियों से दूर
अब उसका जीवन
टूटा बिखरा था
बिलख़ना दूर वह आंगन में
बेसुध पड़ी थी।
ठिठूरन भरी ठंड की सुबह
अलसाते नकराते
मां की झिड़कियों से तंग
वह नहा धोकर रोज़ाना की तरह
तैय्यार हो निकली
स्कूल की ओर
क्लास और मैदान कि वो मस्तियां
दोस्तों के साथ ठहठहाके
और फिर अनमनी सी घर को चली
उधर घर के काम निपटाकर मां
किताब पढ़ने के बहाने
आंगन की धूप में सामने वाले
बस स्टाप पर नज़र गड़ाये बैठी थी
उसके इन्तजार में
न जाने कब झपकी लगी और
बिटिया के भविष्य के सपने बुनती रही
हाहाकार से जब नींद उड़ी
तो देखा सब कुछ टूट गया था
सब कुछ लुट गया था
एक बेदर्द अक्षमणिय गलती ने
कई बच्चों के साथ उसकी बिटिया को भी
काल के ग्रास में धकेल दिया था
सपनों की खुशियों से दूर
अब उसका जीवन
टूटा बिखरा था
बिलख़ना दूर वह आंगन में
बेसुध पड़ी थी।
( हाल ही हुई इन्दौर के डीपीएस के बस ड्राइवर के अक्षम्य अपराध की घटना पर)
प्रदीप/ जनवरी ०९, २०१८
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