एक और सूरज अस्त हुआ
एक और शाम आई
शाम हुई फिर रात हुई
फिर सुबह, फिर दिन गुजरा
बस जिंदगी यूं ही गुजरती रही
अक्सर सूरज को डूबते देख
लोग तन्हा हो जाते हैं
पर मुझे यूं महसूस होता है
मानो या जानो कुछ पा लिया हो
कुछ अधूरा सा
कुछ पूरा सा
एक अहसास।
आज फिर एक सूरज डूबा।
मार्च ०९,२०२३
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